क्या सोचा था और क्या हों गया
जो कल अपना था
वो तनहा छोड़ गया,
क्यूँ जिंदगी बार बार दर्द दुहराती हैं
क्यूँ बीती हुई बातों की याद दिलाती है
वो रातें जिनमें सपनो की कमी थी
वो रातें जिनमें आखों मैं नमी थी
विश्वास खो सा गया था
अपना भी अपना ना रहा था
क्यूँ जिंदगी सोचने पे मजबूर कर देती है
अतीत के उन पन्नो को
जिन्हें हम भुला कर आगे चल दिए थे
एक नए शुरुआत की आस में
रात को भी दिन समझ बैठे थे
क्यूँ जिंदगी एक चेहरे के भी चेहरे दिखाती है
क्यूँ जिंदगी बीती बातों को याद कर रुलाती हैं
क्यूँ जिंदगी , क्यूँ
(क्यूँ जिन्दगी रात में कविता लिखवाती है ,
क्यूँ जिंदगी कुछ लम्हे यूही यादगार बनाती हैं ....)
जो कल अपना था
वो तनहा छोड़ गया,
क्यूँ जिंदगी बार बार दर्द दुहराती हैं
क्यूँ बीती हुई बातों की याद दिलाती है
वो रातें जिनमें सपनो की कमी थी
वो रातें जिनमें आखों मैं नमी थी
विश्वास खो सा गया था
अपना भी अपना ना रहा था
क्यूँ जिंदगी सोचने पे मजबूर कर देती है
अतीत के उन पन्नो को
जिन्हें हम भुला कर आगे चल दिए थे
एक नए शुरुआत की आस में
रात को भी दिन समझ बैठे थे
क्यूँ जिंदगी एक चेहरे के भी चेहरे दिखाती है
क्यूँ जिंदगी बीती बातों को याद कर रुलाती हैं
क्यूँ जिंदगी , क्यूँ
(क्यूँ जिन्दगी रात में कविता लिखवाती है ,
क्यूँ जिंदगी कुछ लम्हे यूही यादगार बनाती हैं ....)
Kyoon Jindgi Raat ai Kavita Likhwati Hai.... :)
ReplyDeleteIf u knw,please share :D
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