August 25, 2010

August love

It all started with
a abridged innuendo;
bustling winds,
winged leaves,
it was dark night,
and there they
stood,
out of sight,
a little talk,
a silent walk,
and some
feelings unfold,
some words never told...
august love,
passed by,
august love,
said goodbye.

August 4, 2010

kabhi kabhi ...

कभी कभी पंख लगा कर उड़ जाने को जी चाहता है
 कभी कभी एक कोने में सिमटने को जी चाहता है
कभी कभी इन पंछियों की तरह चहचहाने को जी चाहता है
 कभी कभी एक तस्वीर की तरह शांत रहने को जी चाहता है
कभी कभी सूरज की किरणों की तरह इस जहा से मिल आने को जी चाहता है
 कभी कभी इन तारों की तरह आशाओ से  झिलमिलाने को जी चाहता है 
कभी कभी हवा की तरह तेज  दौड़ने  को जी चाहता है
 कभी कभी नदी की तरह चुपचाप बहने को जी चाहता है 
कभी कभी बारिश की बड़ी बड़ी बूंदों सा बरसने को जी चाहता है 
 कभी कभी एक बूढ़े पेड की तरह बस खड़े रहने को जी चाहता है 
कभी कभी अंजानो से भी मुस्कुराने को जी चाहता है 
कभी कभी काले बादलो में छिप जाने को जी चाहता है 
कभी कभी पुरानी यादो में खो जाने को जी चाहता है 
 कभी  कभी उन यादो को मिटाने का जी चाहता है 
अक्सर अपने आप से बात करने की कोशिश करती हूँ 
तन्हाइयो को हे अपना सबसे अच्छा दोस्त बनाने की कोशिश करती  हूँ 
कभी कभी इन तन्हाइयों के साथ सैर पर निकल जाती हूँ 
और बीतीं बातो को फिर से दोहरा लेती  हूँ 
जिन्दगी के सफ़र में हँस खेलकर जीना चाहती हूँ 
हर एक पल को सवार कर अपना बना लेना चाहती हूँ